गाँव आशापुर की विधवा महिला सुशीला देवी की ज़िंदगी संघर्षों से भरी थी। उसके पति का देहांत हुए कई साल हो गए थे, और वह अकेली अपने छोटे बच्चों का पालन-पोषण कर रही थी। एक दिन सुशीला ने सुना कि सरकारी भूमि पर बने मकानों को नियमित करने के लिए सरकार ने एक योजना शुरू की है। वह खुश हुई, क्योंकि उसका घर भी सरकारी ज़मीन पर बना हुआ था।
लेकिन जब उसने पंचायत कार्यालय जाकर आवेदन किया, तो अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। बार-बार जाने पर भी उसे सिर्फ भ्रमित जवाब मिले। अधिकारियों ने उससे अनावश्यक दस्तावेज़ मांगे और योजना की शर्तें स्पष्ट नहीं कीं।
अनजान जनता, अपारदर्शी व्यवस्था
सुशीला ने महसूस किया कि न केवल उसे, बल्कि पूरे गाँव के लोगों को सरकारी योजनाओं और उनके लाभों की कोई जानकारी नहीं है। हर कोई सिर्फ अनुमानों पर निर्भर था। इसी बीच, गाँव के एक शिक्षक रवि कुमार ने सुशीला से बात की। उन्होंने उसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के बारे में बताया।
धारा 4 का परिचय
रवि ने समझाया कि RTI अधिनियम की धारा 4 सरकारी संस्थानों को यह निर्देश देती है कि वे अपनी प्रक्रियाओं, योजनाओं, और निर्णयों को सार्वजनिक करें। इसके तहत:
- सभी योजनाओं और प्रक्रियाओं की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए।
- वेबसाइट, नोटिस बोर्ड और अन्य माध्यमों से यह जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।
- सभी नागरिकों को यह जानकारी मांगने की जरूरत नहीं होनी चाहिए; यह स्वतः सार्वजनिक होनी चाहिए।
धारा 4 का उपयोग
रवि ने सुशीला को समझाया कि वह पंचायत कार्यालय को लिखित में एक पत्र दे, जिसमें धारा 4 के तहत योजना की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग हो। सुशीला ने ऐसा ही किया और पंचायत कार्यालय में आवेदन दिया। उसने यह भी अनुरोध किया कि योजना की शर्तों, आवश्यक दस्तावेज़ों, और लाभार्थियों की सूची को ग्रामसभा की बैठक में प्रस्तुत किया जाए।
जवाबदेही का निर्माण
सुशीला के आवेदन का असर हुआ। पंचायत अधिकारियों को मजबूरी में योजना से जुड़ी सभी जानकारी ग्रामसभा में सार्वजनिक करनी पड़ी। यह भी स्पष्ट हुआ कि अधिकारियों ने जानबूझकर गलत जानकारी देकर लोगों को परेशान किया था।
सुशीला की जीत
ग्रामसभा में सुशीला को यह पता चला कि उसके घर को नियमित करने के लिए केवल आधार कार्ड और बिजली बिल जैसे दस्तावेज़ों की जरूरत थी। उसने तुरंत आवेदन किया और जल्द ही उसका घर नियमित हो गया।
धारा 4 की ताकत
इस घटना के बाद, गाँव के लोग जागरूक हो गए। रवि ने गाँव में RTI जागरूकता अभियान चलाया और बताया कि धारा 4 का पालन सरकारी अधिकारियों के लिए अनिवार्य है। इससे योजनाओं में पारदर्शिता आती है और लोगों को योजनाओं का सही लाभ मिल पाता है।
निष्कर्ष
RTI अधिनियम की धारा 4 सरकार और जनता के बीच पारदर्शिता का एक पुल है। जब लोग जानकारी से सशक्त होते हैं, तो वे अपने अधिकारों का बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
“धारा 4 केवल कानून का हिस्सा नहीं, बल्कि जनता और सरकार के बीच विश्वास का सेतु है।”
यह कहानी हमें सिखाती है कि जानकारी तक आसान पहुंच ही एक सशक्त लोकतंत्र की नींव है।