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गुमशुदा विद्यालय

गांव सोनपुर एक ऐसा इलाका था, जहाँ बच्चे पढ़ाई से दूर रहते थे। गरीबी, अशिक्षा और संसाधनों की कमी के कारण गांव के लोग बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता नहीं देते थे। लेकिन गाँव के युवा अभिषेक ने ठान लिया कि वह शिक्षा को बढ़ावा देगा।

अभिषेक ने सुना था कि सरकार ने गाँव में एक माध्यमिक विद्यालय के निर्माण के लिए धन आवंटित किया है। यह खबर उसके लिए खुशी की बात थी, लेकिन जब उसने गाँव का दौरा किया, तो उसे कोई नया स्कूल नज़र नहीं आया। न कहीं निर्माण का नामोनिशान था, न किसी को इसके बारे में कोई जानकारी थी।

संदेह और सवाल

अभिषेक ने पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक इस मामले की जानकारी लेने की कोशिश की। हर जगह उसे केवल एक ही जवाब मिला: “यह मामला हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है।”

अभिषेक को समझ आ गया कि कुछ गड़बड़ी है। उसने इस बारे में अपने एक मित्र विनीत से बात की, जो कानून की पढ़ाई कर रहा था। विनीत ने उसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के बारे में बताया और कहा कि वह इस अधिनियम का उपयोग करके सच्चाई का पता लगा सकता है।

RTI का पहला कदम

अभिषेक ने RTI के तहत आवेदन दायर किया और निम्नलिखित जानकारी मांगी:

  1. सोनपुर में माध्यमिक विद्यालय निर्माण के लिए आवंटित धनराशि।
  2. धनराशि खर्च का विवरण।
  3. निर्माण कार्य की प्रगति रिपोर्ट और ठेकेदार की जानकारी।

उसने आवेदन को जिला शिक्षा कार्यालय में जमा किया।

जवाब में खुलासा

30 दिनों के भीतर, अभिषेक को जवाब मिला। जवाब में पता चला कि विद्यालय के निर्माण के लिए 20 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। ठेकेदार का नाम और प्रोजेक्ट पूरा करने की समयसीमा भी दी गई थी। लेकिन यह भी स्पष्ट हुआ कि निर्माण कार्य केवल कागजों पर पूरा दिखाया गया था, और धनराशि का बड़ा हिस्सा अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से गायब कर दिया गया था।

संघर्ष और शिकायत

अभिषेक ने इस जानकारी को सार्वजनिक किया। उसने गाँव के लोगों को इकट्ठा किया और पंचायत स्तर पर एक बैठक बुलाई। लोग यह जानकर गुस्से में थे कि उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है।

अभिषेक ने इन दस्तावेजों के साथ जिला कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने भी मामला गंभीरता से लिया और एक विशेष जांच समिति गठित की।

न्याय और बदलाव

जांच में ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की गड़बड़ी साबित हो गई। ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया गया और अधिकारियों पर जुर्माना लगाया गया। सबसे बड़ी बात, विद्यालय निर्माण का कार्य फिर से शुरू हुआ, और एक साल के भीतर सोनपुर के बच्चों के लिए एक नया स्कूल बनकर तैयार हो गया।

जागरूकता की पहल

अभिषेक ने गाँव के युवाओं को RTI के महत्व के बारे में जागरूक करना शुरू किया। उसने कहा,
“RTI न केवल जानकारी का अधिकार है, बल्कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक हथियार है। अगर हर नागरिक इसे सही तरीके से इस्तेमाल करे, तो समाज में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।”

कहानी का संदेश

यह कहानी बताती है कि सही जानकारी के बिना हमारे अधिकारों का हनन हो सकता है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ने आम नागरिक को सशक्त बनाया है, जिससे वह सरकारी योजनाओं और संसाधनों की पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकता है। अभिषेक जैसे युवा न केवल खुद जागरूक बने, बल्कि उन्होंने अपने समाज को भी जागरूक किया।

“जानकारी में ताकत है, और सही जानकारी से ही बदलाव संभव है।”

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