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किशन सिंह और प्रधानमंत्री आवास योजना

किशन सिंह, एक गरीब किसान, बिहार के एक छोटे से गाँव में रहता था। खेती ही उसकी रोज़ी-रोटी का साधन थी, लेकिन सूखे और बढ़ते कर्ज़ ने उसकी हालत ख़राब कर दी थी। जब सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर गरीब को घर देने की घोषणा की, तो किशन को उम्मीद की एक किरण नज़र आई। उसने पंचायत कार्यालय में आवेदन किया और अपनी सारी ज़रूरी कागजात जमा कर दिए।

महीने बीत गए, लेकिन किशन का नाम लाभार्थियों की सूची में नहीं आया। वह हर बार पंचायत कार्यालय जाता, लेकिन वहां उसे टालमटोल भरे जवाब मिलते। किसी ने कहा, “सूची में नाम आ जाएगा, इंतज़ार करो।” किसी ने कहा, “तुम्हारे कागजात पूरे नहीं हैं।” परेशान और निराश किशन समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे।

कहानी में प्रवेश: श्रीमती किरण

किशन की परेशानी देखकर गाँव की एक समाजसेविका, श्रीमती किरण, ने उससे बात की। किरण जी अपने क्षेत्र में सूचना का अधिकार (RTI) के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने किशन से पूछा, “तुमने RTI के तहत आवेदन क्यों नहीं किया?”

किशन ने हैरानी से पूछा, “RTI क्या है?”

किरण ने समझाया, “RTI यानी सूचना का अधिकार। यह कानून हर नागरिक को सरकारी कामकाज से जुड़ी जानकारी मांगने का अधिकार देता है। तुम्हें बस एक आवेदन भरना होगा और यह पता करना होगा कि तुम्हारा नाम सूची में क्यों नहीं है।”

किशन ने थोड़ी हिम्मत जुटाई और किरण जी की मदद से पंचायत कार्यालय में RTI का आवेदन दिया। उन्होंने पूछा:

  1. प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची।
  2. उनके आवेदन का वर्तमान स्टेटस।
  3. किशन का नाम सूची में क्यों नहीं है?

सच का उजागर होना

RTI का जवाब आने में 30 दिन लगे, लेकिन इसके बाद जो सच सामने आया, उसने पंचायत कार्यालय में हलचल मचा दी। जवाब में पता चला कि किशन का नाम जानबूझकर हटाया गया था और उसके आवेदन के स्थान पर एक ऐसे व्यक्ति का नाम जोड़ा गया था, जो आर्थिक रूप से सक्षम था और पंचायत के अधिकारियों से जुड़े हुए थे।

यह देख किरण ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने किशन के साथ स्थानीय प्रखंड कार्यालय जाकर वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की। अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत जांच का आदेश दिया।

न्याय की जीत

कुछ दिनों बाद किशन को खबर मिली कि उसका नाम लाभार्थियों की सूची में जोड़ दिया गया है। उसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता स्वीकृत कर दी गई। किशन के चेहरे पर पहली बार सच्ची खुशी दिखाई दी। उसने किरण जी का धन्यवाद करते हुए कहा, “आपने मेरी ज़िंदगी बदल दी। अगर आप न होतीं, तो मुझे कभी न्याय नहीं मिलता।”

कहानी का संदेश

किशन की यह कहानी गाँव में चर्चा का विषय बन गई। लोग RTI के महत्व को समझने लगे। किरण ने गाँव में एक सभा का आयोजन किया, जहाँ उन्होंने कहा,
“RTI केवल एक कानून नहीं है, यह एक हथियार है, जिससे हम सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित कर सकते हैं। इसका सही इस्तेमाल करके हम अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।”

किशन अब न केवल अपने नए घर में रहता है, बल्कि वह भी अन्य ग्रामीणों को RTI के बारे में जागरूक करता है। श्रीमती किरण की मेहनत और RTI के उपयोग ने यह साबित कर दिया कि सही जानकारी से बदलाव लाया जा सकता है।

निष्कर्ष

यह कहानी बताती है कि सूचना का अधिकार केवल एक कानून नहीं है, यह गरीब और शोषित वर्ग के लिए न्याय पाने का एक सशक्त साधन है। जब नागरिक जागरूक होते हैं और अपने अधिकारों के लिए खड़े होते हैं, तो कोई भी अन्याय लंबे समय तक टिक नहीं सकता।

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