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सुमन जी सफ़र द्वितीय अपील तक

सुमन कुमार एक छोटे से गाँव में शिक्षक थे। ईमानदारी और सादगी से जीवन बिताने वाले सुमन के पास ज़मीन का एक छोटा सा टुकड़ा था, जिसे सरकार ने सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित कर लिया था। सुमन को वादा किया गया था कि सरकार मुआवजे के रूप में उचित धनराशि देगी।

लेकिन महीनों बीत गए, और सुमन को कोई मुआवजा नहीं मिला। बार-बार तहसील कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद उसे केवल आश्वासन मिला। एक दिन, थक-हारकर उसने अपने गाँव के एक जागरूक नागरिक, श्रीमती रमा देवी, से मदद मांगी। रमा देवी सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम की गहरी जानकार थीं।

प्रथम आवेदन: RTI के तहत जानकारी मांगना

रमा देवी ने सुमन को RTI आवेदन लिखने में मदद की। आवेदन में उन्होंने निम्नलिखित जानकारी मांगी:

  1. सड़क निर्माण परियोजना से जुड़े मुआवजे का विवरण।
  2. जिन किसानों को मुआवजा दिया गया है, उनकी सूची।
  3. सुमन के मुआवजे की वर्तमान स्थिति।

सुमन ने आवेदन तहसील कार्यालय में जमा कर दिया और रसीद प्राप्त की।

30 दिनों का इंतजार और प्रथम अपील

30 दिन बीत गए, लेकिन सुमन को कोई जवाब नहीं मिला। परेशान होकर उसने रमा देवी से दोबारा सलाह ली। रमा देवी ने बताया कि यदि सूचना अधिकारी 30 दिनों के भीतर जवाब नहीं देता है, तो प्रथम अपील अधिकारी (FAA) के पास अपील की जा सकती है।

सुमन ने प्रथम अपील अधिकारी को एक अपील लिखी, जिसमें उसने अपनी समस्या और देरी का जिक्र किया। FAA ने 15 दिनों के भीतर सुनवाई की तारीख तय की। सुनवाई के दौरान, FAA ने पाया कि सुमन का आवेदन जानबूझकर लंबित रखा गया था। उसने तुरंत तहसील कार्यालय को निर्देश दिया कि सुमन को मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

अधूरी जानकारी और द्वितीय अपील

कुछ दिनों बाद, सुमन को तहसील कार्यालय से जवाब मिला, लेकिन उसमें अधूरी और भ्रामक जानकारी दी गई थी। मुआवजे की प्रक्रिया और सूची के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी। सुमन निराश हो गया, लेकिन रमा देवी ने उसे समझाया कि अब सूचना आयोग में द्वितीय अपील दर्ज की जा सकती है।

सुमन ने राज्य सूचना आयोग (SIC) में द्वितीय अपील दायर की। अपील में उसने तहसील कार्यालय द्वारा दी गई अधूरी जानकारी और अपने आवेदन की पूरी प्रक्रिया का उल्लेख किया।

आयोग की सुनवाई और न्याय

सूचना आयोग ने अपील पर सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को तलब किया। सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि सुमन का मुआवजा जानबूझकर रोका गया था और फाइल को बार-बार दूसरे विभागों में भेजा गया था। आयोग ने न केवल सुमन को पूरी जानकारी देने का आदेश दिया, बल्कि संबंधित अधिकारियों पर जुर्माना भी लगाया।

सुमन को न केवल उसकी जानकारी मिली, बल्कि कुछ ही हफ्तों में उसका मुआवजा भी उसके खाते में जमा कर दिया गया।

कहानी का संदेश

यह कहानी बताती है कि सूचना का अधिकार अधिनियम हर नागरिक को सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का अधिकार देता है।

  1. प्रथम आवेदन से शुरुआत करके नागरिक जानकारी मांग सकता है।
  2. प्रथम अपील के माध्यम से अधिकारी की जवाबदेही तय की जा सकती है।
  3. द्वितीय अपील के जरिए आयोग तक अपनी बात पहुंचाई जा सकती है।

सुमन अब अपने गाँव के अन्य लोगों को RTI के महत्व के बारे में जागरूक कर रहा है। वह कहता है, “जब हमारे पास सही जानकारी होती है, तो हम अपने अधिकारों के लिए मजबूती से खड़े हो सकते हैं।”

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