महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) – Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA)
मनरेगा (MGNREGA) उद्येश्य:-
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) योजना के अंतर्गत सभी इच्छुक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 (एक सौ) दिनों का रोज़गार उपलब्ध करने का प्रावधान है ताकि राज्य की ग्रामीण क्षेत्रों में वास करने वाले गरीब एवं बेरोजगार परिवारों को सर्वाधिक लाभ एवं सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराया जा सके. साथ ही रोज़गार के लिए अन्य राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रो से होने वाले पलायन को रोका जा सके.
यह के केंद्र प्रायोजित योजना है. इस योजना में मजदूरी मद मेंअकुशल श्रमिकों हेतु केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सन्देय मजदूरी दर के अनुरूप व्यय राशि का शत प्रतिशत एवं सामग्री मद में निर्धारित सीमा से अधीन 75% राशि का वहन केंद्र सरकार तथा 25% राशि का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है. एक वित्तीय वर्ष में कुल व्यय का 6% राशि प्रशासनिक मद में केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है.
मनरेगा (MGNREGA) में पारदर्शिता : –
योजना में पारदर्शिता लेन हेतु मनरेगा अंतर्गत सृजित सभी परिसंपत्तियों का GEO Tagging कराया जा रहा है, जिसका अवलोकन नरेगा वेबसाइट पर उपलब्ध, जिओ मनरेगा लिंक के माध्यम से आम जनता द्वारा किया जा सकता है. इसके साथ ही विभात द्वारा जन मनरेगा मोबाइल बेस्ड ऐप लॉन्च किया गया है, जिसके माध्यम से आम नागरिक द्वारा राज्य अंतर्गत जिओ टैग किया गए सभी परिसंपत्तियों का फोटोग्राफ, व्यय की गयी राशी एवं कार्य से सम्बंधित अन्य जानकारी प्राप्त की जा सकती है तथा आम नागरिकों द्वारा इस मोबाइल ऐप के माध्यम से ही योजना का लोकेशन सहित फोटोग्राफ एवं अन्य फीडबैक सरकार को दिया जा सकता है.
मनरेगा की कुछ खाश बातें :
- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों की बेरोजगारी दूर करने एवं आजीविका के साधन उपलब्ध कराना तथा श्रमिकों का पलायन रोकना है.
- भारत सरकार द्वारा इसके लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 बनाया गया है
- यह गांव के हर परिवार के इच्छुक व्यस्त सदस्यों को जो ऑफ सोशल श्रम करने को तैयार हैं साल में 100 दिनों का रोजगार देने का कार्यक्रम है
- परिवार इन 100 दिनों को आपस में कैसे बांटता है यह खुद परिवार के सदस्यों पर निर्भर है. अलग-अलग सदस्य अलग दिनों पर काम कर सकते हैं या एक साथ.
- कुल मिलाकर 100 दिनों के रोजगार की गारंटी है इस कानून के अनुसार यदि आवेदन करने के 15 दिनों के अंदर जॉब कार्ड धारकों को रोजगार नहीं दिया जाता है तो बेरोजगारी भत्ता देना पड़ता है
- केंद्र सरकार इस कानून के तहत कार्यरत मजदूरों की मजदूरी का भुगतान करती है और सामग्री व्यय की तीन चौथाई राशि का वहन करती है
- राज्य सरकार को सामग्री व्यय कि शेष एक चौथाई रकम और बेरोजगारी भत्ते का भुगतान करना होता है कुशल मजदूरों को सामग्री व्यय में जोड़ा जाता है.
- यदि कोई परिवार पंजीकरण हेतु आवेदन करता है तो ग्राम पंचायत की यह जिम्मेदारी है कि उनका पंजीकरण करें और उन्हें जॉब कार्ड जारी करें
- जॉब कार्ड जारी करने का उद्देश्य यह है कि मजदूरों के पास उनके काम, प्राप्त मजदूरी, बेरोजगारी भत्ता का लिखित ब्यौरा रहे और उन्हें इसके लिए किसी सरकारी अधिकारी पर निर्भर नहीं रहना पड़े.
- एक जॉब कार्ड की वैधता कम से कम 5 साल के लिए होती है
- रोजगार कार्ड धारियों द्वारा रोजगार की मांग से संबंधित आवेदन देने के 15 दिनों के भीतर काम दिया जाता है
- काम के लिए इच्छुक पुरुष और महिलाओं को एक समान मजदूरी मिलती है.
- मजदूर की तुलना में महिला को कम काम करना पड़ता है. महिला मजदूर को पुरुष की अपेक्षा 15% कम काम करना पड़ता है, जबकि मजदूरी दोनों को बराबर मिलती है.
- हर मजदूर का नजदीकी बैंक में खाता खोलना सुनिश्चित किया जाएगा.
- मजदूरों को मजदूरी उसके बचत खाता के माध्यम से दी जाएगी
- काम के बदले दैनिक मजदूरी मिलती है जो 7 से 15 दिनों के भीतर उनके खाते में जमा कर दी जाती है
- रोजगार की मांग लिखित रूप में करने पर यदि 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं मिलता है तो मजदूर को बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा
- पहले 30 दिनों में रोजगार नहीं देने की एवज में न्यूनतम मजदूरी का 25% बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा शेष अवधि (30 से अधिक दिनों के लिए ) कार्य नहीं देने पर दैनिक मजदूरी का आधा (50%) बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा.
- काम की जगह पर काम करते समय दुर्घटना हो जाने पर मजदूर के आश्रितों को ₹25000 की सहायता दी जाएगी
- काम की जगह पर पीने का पानी और आराम के लिए छाया की व्यवस्था की जाएगी
- प्राथमिक उपचार सामग्री जैसे दवा, रुई, डिटॉल इत्यादि काम की जगह पर उपलब्ध रहेंगे
- काम करने वाली महिला के साथ 5 वर्ष या उससे छोटे बच्चे हो तो उनके लिए पालना घर की व्यवस्था की जाएगी
- पालना घर में बच्चों की देखरेख करने वाली महिला को समान मजदूरी दी जाएगी
- पंचायत रोजगार सेवक पर इच्छुक परिवारों का निबंधन, फोटो खिंचवाना, मास्टर रोल बनवाना, उन्हें जॉब कार्ड देना, काम देना, बैंक में बचत खाता खुलवाना, वर्ष भर के लिए कार्य योजना बनाना, योजना ग्राम सभा से पारित करवाना एवं कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा अनुमोदित कार्यों को लागू करना सोशल ऑडिट के लिए सभी जरूरी दस्तावेज ग्राम सभा को उपलब्ध कराने का दायित्व है
- कार्यों का समन्वय और पर्यवेक्षण, योजनाओं का समेकन, अनुमोदित कार्यों को चयनित एजेंसी को आवंटित करना, ग्राम पंचायत एवं अन्य कार्यकारी एजेंसी को मास्टर रोल निर्गत करना, पंचायत समिति को दी गई राशि का लेखा संधारण करना, नियोजन भर्ती की स्वीकृति एवं उसके भुगतान की जिम्मेवारी तय करना, ससमय मजदूरी का भुगतान करना, शिकायतों की जांच करना, प्रगति प्रतिवेदन भेजना कार्यक्रम पदाधिकारी का कार्य है
- ग्राम सभा की बैठक में योजनाओं की प्राथमिकता सूची तैयार की जाएगी एवं ग्राम सभा से योजना पारित कराई जाएगी
- योजनाओं को पंचायत समिति स्तर तथा जिला परिषद से अनुमोदित कराया जाएगा
- मनरेगा के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के सभी लाभार्थियों को उनके आवास निर्माण के दौरान प्रति परिवार 90 मानव दिवस (IAP जिलों में 95 मानव दिवस उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य है
- ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मनरेगा अंतर्गत कार्यों का ऑनलाइन प्राक्कलन तैयार करने हेतु SECURE (Software for Estimate Calculation Using Rural Rates for Employment) Software विकसित किया गया है, जिसके माध्यम से मनरेगा के तकनीकी पदाधिकारियों द्वारा ऑनलाइन प्राक्कलन तैयार किया जाएगा तथा सक्षम प्राधिकार द्वारा ऑनलाइन तकनीकी एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जाएगी.
योजना की विस्तृत जानकारी के लिए अपने पंचायत में रोज़गार सेवक एवं मुखिया / उप – मुखिया से तथा प्रखंड में मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी से मिलें. किसी प्रकार के शिकायत के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी, जिला समन्वयक तथा उप विकास आयुक्त से मिले.
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